कांग्रेस के विधायक दल की बैठक में अशोक गहलोत का उत्तराधिकारी चुनने की संभावनाओं के बीच पार्टी के क़रीब सौ विधायकों ने रविवार देर रात विधानसभा अध्यक्ष को इस्तीफ़ा सौंप दिया है. इस घटनाक्रम पर अशोक गहलोत का कहना है कि उनके हाथ में कुछ नहीं है, विधायक नाराज़ हैं.

रविवार रात विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी से मिलने जाते कांग्रेस विधायक. (फोटो: पीटीआई)
जयपुर: राजस्थान में नाटकीय घटनाक्रम के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के वफादार माने जाने वाले विधायकों ने अपने इस्तीफे रविवार रात विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को सौंप दिए.
राज्य विधानसभा में मुख्य सचेतक महेश जोशी ने रविवार देर रात समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया, ‘हमने इस्तीफे दे दिए हैं और आगे क्या करना है इसका फैसला अब विधानसभा अध्यक्ष करेंगे.’
Every MLA has faith in interim president Sonia Gandhi. We’ve kept our point and expect that our demands will be considered when the final decision is taken by the high command. We want the party to take care of people who’ve been loyal to Congress: Rajasthan Minister Mahesh Joshi pic.twitter.com/Et8IJ8Fjs7
— ANI (@ANI) September 25, 2022
इससे पहले राज्य के आपदा प्रबंधन एवं राहत मंत्री गोविंद राम मेघवाल ने मीडियाकर्मियों से कहा, ‘हम अभी अपना इस्तीफा देकर आए हैं. लगभग 100 विधायकों ने इस्तीफा दिया है.’
इसके साथ ही मेघवाल ने कहा कि कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष पद का चुनाव होने तक (राज्य में मुख्यमंत्री गहलोत के उत्तराधिकारी को लेकर) कोई बात नहीं होगी.
विधानसभा अध्यक्ष जोशी के निवास से निकलते हुए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा, ‘सब कुछ ठीक है.’
कांग्रेस के मुख्य सचेतक जोशी ने कहा, ‘हमने अपनी बात आलाकमान तक पहुंचा दी है… उम्मीद करते हैं कि आने वाले जो फैसले होंगे उनमें उन बातों का ध्यान रखा जाएगा. विधायक चाहते हैं कि जो कांग्रेस अध्यक्ष और आलाकमान के प्रति निष्ठावान रहे हैं उनका पार्टी पूरा ध्यान रखे.’
इन इस्तीफों के बारे में जोशी के कार्यालय से अभी कुछ नहीं कहा गया है.
राजधानी जयपुर में यह सारा घटनाक्रम कांग्रेस के विधायक दल की बैठक में गहलोत का उत्तराधिकारी चुनने की संभावनाओं के बीच हुआ. इस स्थिति से मुख्यमंत्री और सचिन पायलट के बीच सत्ता को लेकर संघर्ष गहराने का संकेत मिल रहा है.
उल्लेखनीय है कि गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ेंगे, इसलिए उनका उत्तराधिकारी चुने जाने की चर्चा है.
दरअसल, विधायक दल की बैठक शाम सात बजे मुख्यमंत्री निवास में होनी थी लेकिन बैठक से पहले ही गहलोत के वफादार माने जाने वाले विधायक संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल के बंगले पर इकट्ठा होने लगे. यहां से वे रात लगभग साढ़े आठ बजे विधानसभा अध्यक्ष डॉ. जोशी के आवास पहुंचे और आधी रात तक वहीं रहे.
बीच में संसदीय मंत्री धारीवाल, मुख्य सचेतक जोशी, मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास मुख्यमंत्री निवास भी गए.
इससे पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत उस होटल में गए थे जहां दिल्ली से आए पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे तथा अजय माकन रुके थे. वहां इन नेताओं के बीच लंबी बैठक हुई. पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट भी मुख्यमंत्री निवास पहुंचे. कुछ और विधायक भी विधायक दल की प्रस्तावित बैठक में भाग लेने पहुंचे लेकिन यह बैठक अंतत: नहीं हुई.
गहलोत के सलाहकार संयम लोढ़ा के अलावा मंत्रियों धारीवाल, प्रताप सिंह खाचरियावास और महेश जोशी ने कांग्रेस पर्यवेक्षकों से मुलाकात की थी, लेकिन गतिरोध जारी रहा.
सूत्रों ने बताया कि गहलोत के वफादार विधायकों की ओर से तीन शर्तें रखी गई हैं. उन्होंने बताया कि गहलोत समर्थक विधायक चाहते हैं कि राज्य में नए मुख्यमंत्री के बारे में फैसला तब तक न किया जाए, जब तक कांग्रेस के संगठनात्मक चुनाव नहीं हो जाते.
सूत्रों के अनुसार, गहलोत समर्थक विधायकों ने इस बात पर जोर दिया कि नए मुख्यमंत्री के चयन में गहलोत की राय को तवज्जो दी जाए और यह उन विधायकों में से एक होना चाहिए, जो 2020 में पायलट समर्थकों द्वारा विद्रोह के दौरान सरकार बचाने के लिए खड़े रहे.
पार्टी के एक अन्य नेता गोविंद राम मेघवाल ने कहा कि गहलोत मुख्यमंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष दोनों की भूमिका निभा सकते हैं. उन्होंने कहा कि अगर गहलोत मुख्यमंत्री नहीं रहते हैं, तो पार्टी को अगला विधानसभा चुनाव जीतने में बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ेगा.
निर्दलीय विधायक और मुख्यमंत्री के सलाहकार संयम लोढ़ा ने कहा कि अगर विधायकों की भावना के अनुरूप निर्णय नहीं होगा तो सरकार गिरने का खतरा पैदा हो जायेगा.
गौरतलब है कि राज्य की 200 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 108 विधायक हैं. पार्टी को 13 निर्दलीय उम्मीदवारों का भी समर्थन प्राप्त है.
दिसंबर 2018 में कांग्रेस के विधानसभा चुनाव जीतने के ठीक बाद मुख्यमंत्री पद के लिए गहलोत और पायलट का टकराव हुआ. पार्टी आलाकमान ने गहलोत को तीसरी बार मुख्यमंत्री चुना, जबकि पायलट को उपमुख्यमंत्री बनाया गया.
जुलाई 2020 में, पायलट ने 18 पार्टी विधायकों के साथ गहलोत के नेतृत्व के खिलाफ बगावत कर दी थी.
गहलोत बोले- मेरे हाथ में कुछ नहीं
इससे पहले रविवार दिन में गहलोत ने कहा था कि विधायक दल की बैठक के दौरान एक लाइन का प्रस्ताव पारित किए जाने की संभावना है, जिसमें लिखा होगा, कांग्रेस के सभी विधायकों को पार्टी अध्यक्ष के फैसले पर पूरा भरोसा है.
गहलोत ने जैसलमेर में संवाददाताओं से कहा था, ‘कांग्रेस में शुरू से ही यह परंपरा रही है कि चुनाव के समय या मुख्यमंत्री के चयन के लिए जब भी विधायक दल की बैठक होती है, तो कांग्रेस अध्यक्ष को सभी अधिकार देने के लिए एक लाइन का प्रस्ताव जरूर पारित किया जाता है, मैं समझता हूं कि आज भी यही होगा.’
मुख्यमंत्री ने जैसलमेर के दौरे के दौरान संवाददाताओं से कहा, ‘सभी कांग्रेसी एकमत से कांग्रेस अध्यक्ष पर विश्वास रखते हैं और आज भी इसकी एक झलक आपको देखने को मिलेगी. आपको किंतु-परंतु के बारे में नहीं सोचना चाहिए.’
एनडीटीवी के अनुसार, इस्तीफों के बाद अशोक गहलोत ने केंद्रीय नेतृत्व से कहा कि ‘उनके हाथ में कुछ नहीं है. विधायक नाराज हैं.’
माकन बोले- विधायकों का विधायक दल की बैठक में न आना अनुशासनहीनता
कांग्रेस विधायक दल की बैठक के लिए जयपुर आए पार्टी पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे एवं अजय माकन सोमवार को दिल्ली लौटकर राज्य में मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम पर अपनी रिपोर्ट पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंपेंगे.
माकन ने जयपुर में संवाददाताओं से कहा, ‘अब मैं और खड़गे जी वापस दिल्ली जा रहे हैं और हम अपनी पूरी रिपोर्ट कांग्रेस अध्यक्ष को सौंपेंगे.’
If CM Ashok Gehlot becomes Congress chief after Oct 19,he can empower himself over his own resolution. 2nd condition- they wanted to come in groups when we said that we shall talk to everyone individually;we made it clear that this isn’t how it works,but they didn’t accept: Maken pic.twitter.com/CKGskILK1D
— ANI (@ANI) September 26, 2022
माकन ने बताया कि कांग्रेस विधायकों शांति धारीवाल, प्रताप खाचरियावास और महेश जोशी ने उनसे मुलाकात कर तीन मांगें सामने रखी हैं. पहली यह कि कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा मुख्यमंत्री चुनने का फैसला लेने वाला प्रस्ताव 19 अक्टूबर के बाद पेश करने की घोषणा की जाए, जिसे माकन के अनुसार, उन्होंने हितों का टकराव बताया.
उनके अनुसार, ‘दूसरी शर्त यह थी कि जब उन्हें मिलने के लिए बुलाया तब वे एक-एक के बजाय समूह में आना चाहते थे, जिससे हमने इनकार कर दिया. ऐसा नहीं होता है, लेकिन वे नहीं माने.’
They (Cong MLAs) insisted that the resolution be in line with 3 conditions, to which we said that never in the history of Congress has any resolution been passed with strings attached to it & which is conditional. There should be no conflict of interest: AICC observer Ajay Maken pic.twitter.com/jjEiqIpkwJ
— ANI (@ANI) September 26, 2022
माकन के अनुसार, ‘विधायकों की तीसरी शर्त ये है कि मुख्यमंत्री उन 102 विधायकों में से चुना जाए जो गहलोत समर्थक हैं न कि सचिन पायलट या उनके समर्थक में से. हम उनकी यही बात कांग्रेस अध्यक्ष के सामने रखेंगे जो अशोक गहलोत और बाकी सभी से बात करने के बाद निर्णय लेंगी.’
उन्होंने कांग्रेस के कई विधायकों के विधायक दल की बैठक में नहीं आने को अनुशासनहीनता बताया. उन्होंने कहा कि जब विधायक दल की कोई आधिकारिक बैठक बुलाई गई हो और यदि कोई उसी के समानांतर एक अनाधिकारिक बैठक बुलाए, तो यह प्रथमदृष्टया अनुशासनहीनता है.
माकन ने कहा, ‘आगे देखेंगे कि इस पर क्या कार्रवाई होती है.’
राजस्थान में मौजूदा राजनीतिक हालात राष्ट्रपति शासन की ओर इशारा कर रहे: नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़
इस बीच, राजस्थान में ताजा राजनीतिक घटनाक्रम के बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने रविवार रात कहा कि राज्य में मौजूदा राजनीतिक हालात राष्ट्रपति शासन की ओर इशारा कर रहे हैं.
राठौड़ ने ट्वीट किया, ‘राजस्थान में मौजूदा राजनीतिक हालात राष्ट्रपति शासन की ओर इशारा कर रहे हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जी, आप नाटक क्यों कर रहे हों. मंत्रिमंडल के इस्तीफे के बाद अब देरी कैसी. आप भी इस्तीफा दे दीजिए.’
गहलोत समर्थक विधायकों के अपना इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी को सौंपे जाने पर उन्होंने कहा, ‘किसके इशारे पर त्यागपत्र देने का खेल चल रहा है इसे जनता भली-भांति समझ चुकी है. इस्तीफा-इस्तीफा का खेल कर समय जाया ना करें, अगर इस्तीफा देना ही है तो मंत्रिमंडल की बैठक बुलाकर विधानसभा भंग का प्रस्ताव राज्यपाल महोदय को तत्काल भेजें.’
भाजपा की राजस्थान इकाई के अध्यक्ष सतीश पूनियां ने ताजा घटनाक्रम पर एक ट्वीट में उन्होंने कहा, ‘इतनी अनिश्चितता तो आज भारत-ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट मैच में भी नहीं है जितनी राजस्थान की कांग्रेस पार्टी में नेता को लेकर है. विधायकों की बैठकें अलग चल रही है, इस्तीफों का सियासी पाखंड अलग चल रहा है. ये क्या राज चलाएंगे, कहां ले जाएंगे ये राजस्थान को, अब तो भगवान बचाए राजस्थान को….’
वहीं, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह ने ट्वीट किया, ‘बाड़ेबंदी की सरकार ..एक बार फिर बाड़े में जाने को तैयार.’
उल्लेखनीय है कि दो साल पहले राजनीतिक संकट खड़ा होने पर कांग्रेस के विधायक महीने भर से अधिक समय तक विभिन्न होटलों में रहे थे जिसे स्थानीय भाषा में ‘बाड़ाबंदी’ कहा गया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)