ये है भारत की पहली शाकाहारी ट्रेन, जहां खाने में कभी नहीं मिलता अंडा और मीट


ट्रेन से यात्रा करने की बात ही कुछ और है। जो चीज इसे सबसे ज्‍यादा दिलचस्‍प बनाती है वो है खाना। ज्‍यादातर लोग सफर का मजा लेने के लिए घर से खाना बनाकर लाते हैं और ट्रेन में खाते हैं। वहीं अब तो ट्रेन में भी खाना मिल जाता है। चाय और समोसे के अलावा राजमा चावल से लेकर नूडल्‍स तक कई विकल्‍प मौजूद होते हैं। वेजिटेरियन हो या नॉन-वेजिटेरियन सभी आईआरसीटीसी द्वारा दिए गए खाने का लाभ उठा सकते हैं। लेकिन जरा सोचिए, अगर ट्रेन में केवल शाकाहारी भोजन ही मिले तो क्‍या होगा, कुछ नहीं वेजिटेरियन वालों के तो मानों मजे आ जाएंगे। वैसे खुशी की बात ये है कि ऐसी कई ट्रेन है, जिसमें सिर्फ और सिर्फ वेजिटेरियन फूड ही सर्व किया जाता है। जी हां, और भारत में भी एक ऐसी ट्रेन है, जहां लोगों को शुद्ध देसी शाकाहारी भोजन ही मिलता है। तो आइए जानते हैं इस ट्रेन के बारे में। (फोटो साभार : TOI.com)

​वंदे भारत एक्‍सप्रेस – Vande Bharat Express

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इस ट्रेन का नाम है वंदे भारत। रिपोर्ट्स के मुताबिक दिल्ली से जम्मू-कश्मीर के कटरा जाने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस में सिर्फ शाकाहारी खाना ही परोसा जाता है। दरअसल, ट्रेन में मिलने वाले खाने के मेन्‍यू से नॉन वेज डिश हटा ली गई है। यह बताया गया है कि यात्रियों को इस लंबी यात्रा के दौरान केवल शाकाहारी भोजन के स्वाद का आनंद लेने को मिलेगा और कोई मांस या अंडे नहीं परोसे जाएंगे। इतना ही नहीं तैयारी के लिए इस्तेमाल की जाने वाली रसोई में भी केवल शाकाहारी सामग्री होगी और कुक भी नॉन वेज नहीं बनाते। (फोटो साभार : TOI.com)

​ट्रेन को मिला है सात्विक सर्टिफिकेट – Sattvik Certificate

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ट्रेन पूरी तरह से वेज और हाइजेनिक है। इतना ही नहीं इस ट्रेन को सात्विक सर्टिफिकेट भी मिला है। आईआरसीटीसी और एनजीओ सात्विक काउंसिल ऑफ इंडिया के बीच हुए एक समझौते के तहत सात्विक सर्टिफिकेट दिए जाने वाली अपनी तरह की अनूठी ट्रेन है। पहले ही समझौता हो चुका है कि इस ट्रेन में न तो नॉन वेज परोसा जाएगा और न ही किसी यात्री को नॉन वेज लाने की इजाजत होगी। (फोटो साभार : TOI.com)

​इसलिए उठाना पड़ा है कदम –

अक्‍सर ट्रेन में सफर कर रहे लोगों को ट्रेन में मिलने वाले खाने को लेकर दुविधा रहती है कि खाना वेज है या नॉन वेज। साथ ही कई लोगों को लगता है कि खाना पकाने के दौरान साफ सफाई का ध्‍यान नहीं रखा जाता, इसलिए कई बार वे ट्रेन में सर्व किया गया खाना बुक करना तक पसंद नहीं करते। इन सभी दुविधाओं को दूर करने के लिए रेलवे ने यह महत्वपूर्ण कदम उठाया था। (फोटो साभार : Economic Times.com)

​कई कारकाें का होता है मूल्‍यांकन –

आपको बता दें कि सर्टिफिकेट देने से पहले कई कारकों का मूल्यांकन किया जाता है। इन फैक्टर्स में खाना पकाने की तकनीक, रसोई, खाना परोसने और स्‍टोर करने के बर्तन और स्‍टोर करने के तरीके भी शामिल हैं। (फोटो साभार : Economic Times.com)



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