यूक्रेन के साथ लड़ाई में रूस ने झेला बड़ा नुकसान, आधे से अधिक टैंक हुए नष्ट!


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नई दिल्ली। यूक्रेन के साथ करीब 1 वर्ष से चल रहे युद्ध के दौरान रूसी सेना को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। थिंक टैंक विशेषज्ञ थिंक, इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्ट्रैटेजिक स्टडीज (अईआईएसएस) की एक गणना के अनुसार यूक्रेन से लगभग एक साल तक चली लड़ाई के बाद रूस की सेना के टैंकों के बेड़े का लगभग 40 प्रतिशत नष्ट हो जाने का अनुमान है। द गार्जियन ने बताया कि युद्ध में उपयोग किए जाने वाले कुछ प्रमुख टैंकों के लिए यह आंकड़ा 50 प्रतिशत तक बढ़ गया है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि रूस को बड़े पैमाने पर नुकसान उठाना पड़ा है।

वहीं यूक्रेन ने काफी संख्या में रूसी टैंकों पर कब्जा कर लिया है। साथ ही पश्चिमी देशों से उसे भारी संख्या में टैंकों की आपूर्ति भी की जा रही है। ऐसे में यूक्रेन के टैंकों की संख्या में वृद्धि होने का अनुमान है। थिंक-टैंक के अध्यक्ष जॉन चिपमैन ने कहा कि क्रेमलिन आधुनिकीकरण के प्रयासों के बावजूद यह युद्ध रूस के लिए एक राजनीतिक और सैन्य विफलता है। जोकि इसके गोला-बारूद की कमियों के साथ नेतृत्व में कमियों को भी उजागर करता है। द गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार पिछले एक साल में रूस की कार्रवाइयों ने न केवल उसके सैन्य और वरिष्ठ सैन्य नेतृत्व की क्षमता पर सवाल उठाया है, बल्कि कमांड सामंजस्य पर भी प्रश्चचिन्ह लगाया है। थिंकटैंक के आंकड़े बड़े पैमाने पर ड्रोन, सैटेलाइट और युद्ध के मैदान से ओपन सोर्स तस्वीरों पर आधारित हैं। ये आंकड़े युद्ध की शुरुआत से लेकर नवंबर के अंत तक के हैं।

रूस के वर्क हार्स टी-73 बी 3 का भारी नुकसान


अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट के अनुसार रूस की सेना में टैंकों की संख्या 2,927 से 1,800 तक 38 प्रतिशत कम हो गई है, जबकि इसके वर्कहॉर्स टी-72बी3 का विशेष रूप से भारी नुकसान हुआ है, जो 2013 में पहली बार सेना को अपग्रेड किया गया था। चिपमैन ने कहा, युद्ध के मैदान पर भारी नुकसान का मतलब है कि रूस ने टैंक और संबंधित संस्करण के पूर्व आक्रमण बेड़े का लगभग 50 प्रतिशत टैंकों को खो दिया।

मास्को के धीमे औद्योगिक उत्पादन उसे अपने पुराने संग्रहित हथियारों पर भरोसा करने के लिए मजबूर किया। रूसी अति आशावाद का मतलब था कि युद्ध की शुरुआत में उसे भारी टैंक नुकसान का सामना करना पड़, विशेष रूप से कीव पर असफल हमले में, जहां बड़ी संख्या में टैंक और एक काफिले में चलने वाले बख्तरबंद वाहनों को राजधानी के उत्तर में सड़कों पर नष्ट कर दिया गया था। हमले के विफल होने पर कई अन्य टैंकों को ट्रैक्टरों द्वारा पकड़ लिया गया या खींच लिया गया।

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