1990 के दशक के अंत में जहां एक ओर बॉलीवुड में हॉरर जेनर की फिल्में संघर्ष कर रही थीं वहीं इसके उलट साउथ का सिनेमा इसकी ओर बढ़ रहा था. टॉलीवुड इंडस्ट्री ने हर साल कम से कम दस से अधिक हॉरर फिल्मों को बनाना शुरु कर दिया. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि इस जेनर के दर्शकों ने इसे काफी पसंद किया था और यह कैटेगरी काफी तेजी से लोकप्रियता हासिल कर रही थी. प्रेम कथा चित्रम, अरुंधति, नागवल्ली, चंद्रमुखी, कंचना, राजू गारी गढ़ी, राजमहल और भागमथी जैसी फिल्मों ने कॉमेडी के साथ-साथ डरावने काल्पनिक किरदारों को समाहित करते हुए एक नए कॉन्सेप्ट और कंटेंट के साथ दर्शकों को प्रभावित किया.
2000 के दशक की शुरुआत में जहां एक ओर बॉलीवुड हॉरर जेनर के लिए अपने गंभीर दृष्टिकोण के साथ प्रयोग कर रहा था, वहीं दूसरी ओर साउथ फिल्म इंडस्ट्री ने सिनेमा में हॉरर कॉमेडी की लोकप्रियता को फिर से जीवित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
अक्षय कुमार स्टारर एक साइकोलॉजिकल हॉरर-कॉमेडी फिल्म, भूल भुलैया 2007 में बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त हिट रही थी. यह फिल्म, 1993 की मलयालम हॉरर म्यूजिकल फिल्म मणिचित्राथजू (Manichitrathazhu) की रीमेक थी. इस फिल्म में वो सबकुछ था जिसकी तलाश हिंदी भाषी दर्शक इस जेनर में कर रहे थे. अपनी शानदार कॉमेडी टाइमिंग से लेकर डराने तक, फिल्म ने शुरू से अंत तक अपने दर्शकों के साथ माइंड गेम खेला. इसकी वजह से यह फिल्म दर्शकों को अपनी सीट से बांधे रखने में सफल रही.
लेकिन जिस तरह इस फिल्म ने इस जेनर में अपना दृष्टिकोण दिखाया, उसने इसे अन्य हॉरर फिल्मों से अलग बनाया. भूल भुलैया ने सुपरनेचुरल घटनाओं को एक मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझाया और इसके साथ ही अपनी आकर्षक स्टोरी-टेलिंग और स्क्रीनप्ले के साथ हॉरर की प्रमाणिकता को बनाए रखने का प्रयास किया.
इसके बाद जल्द ही बड़े पर्दे पर हॉरर कॉमेडी उभर कर नियमित तौर पर आने लगी. कई फिल्ममेकर्स ने इस जेनर में अपना हाथ आजमाया. कोई बड़े पर्दे पर दोस्ताना भूत (फ्रेंडली घोस्ट) लेकर आया तो कोई हॉरर फिल्म में रोमांस का एंगल लेकर आया. इसमें से कुछ फिल्में भूतनाथ, डार्लिंग (2007), गैंग्स ऑफ घोस्ट्स, फिल्लौरी, गोलमाल अगेन, भूत एंड फ्रेंड्स, अतिथि भूतो भव: और नानू की जानू आदि थीं. हालांकि, एक फैनबेस को आकर्षित करने के लिए इन फिल्मों में एक असाधारण स्टोरीलाइन या प्लॉट का अभी भी अभाव था.
अक्षय कुमार स्टारर हालिया फिल्म लक्ष्मी, एक और ऐसी हिंदी-भाषी हॉरर कॉमेडी है जिसे दर्शकों ने पसंद नहीं किया. यह फिल्म राघव लॉरेंस की लोकप्रिय कंचना फ्रेंचाइजी से इंस्पायर थी, लेकिन रीमेक फिल्म (लक्ष्मी) ओवर-द-टॉप एग्जीक्यूशन और जबरन की कॉमिक टाइमिंग के कारण बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पायी.
Source link