हम लोगों ने यहां धरना दिया है और हमारे लिए अभी तक शीशमहल का दरवाजा नहीं खुला है। दिल्ली की जनता कह रही है कि आप भले ही टिकट लगा दो लेकिन हम देखना चाहते हैं कि दिल्ली की जनता का पैसा आपने कहां खर्च किया है। अगर इनके मकान का दरवाजा नहीं खुला तो कानून का दरवाजा जरूर खुले
केंद्रीय राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी
बीजेपी ने केजरीवाल पर जमकर हमला बोला
केजरीवाल के बंगले की तुलना सद्दाम हुसैन और किम जोंग के बंगले से करते हुए भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि अभी तक ऐसा लगता था कि अरविंद केजरीवाल का घर बड़े भ्रष्टाचार करने वाले नेताओं के वैभवशाली मकानों के समकक्ष है किंतु अब ऐसा प्रतीत होता है कि सद्दाम हुसैन और किम जोंग के मकान में जिस प्रकार की विलासी चीजें नजर आती थी, उसके समकक्ष चीजें दिल्ली सीएम केजरीवाल के मकान में भी दिख रही है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल के घर को लेकर आम आदमी पार्टी के नेता देश के राष्ट्रीय स्तर के नेताओं से उनकी तुलना करते नजर आए हैं लेकिन अब जिस प्रकार के तथ्य नजर आए हैं, उससे वे इस संदर्भ में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचते दिख रहे हैं।
उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने अपनी राजनीति में जिस प्रकार से कथनी और करनी में अंतर दिखाया है, इससे सिर्फ अरविंद केजरीवाल की विश्वसनीयता ही नहीं, बल्कि उनकी राजनीतिक साख पर भी प्रश्नचिह्न् लग गया है। केजरीवाल की तरह छलावा पूर्ण बातों के कारण अक्सर राजनीतिक दलों के बारे में जनता में अनास्था उत्पन्न होती है।
‘केजरीवाल बस पैर पसारने की जगह चाहते थे’
आप पर हमला जारी रखते हुए त्रिवेदी ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारतीय राजनीति में प्रमाणिकता का प्रतीक है जबकि आम आदमी पार्टी और उनके जैसे तमाम राजनीतिक दल अविश्वास के प्रतीक बन गए हैं। भाजपा प्रवक्ता ने प्रेस कांफ्रेंस में केजरीवाल के कई पुराने वीडियो भी दिखाए जिसमें अरविंद केजरीवाल ये कहते हुए दिख रहे हैं कि मुख्यमंत्री के रूप में उन्हें बस चार-पांच कमरे वाले मकान की जरूरत है और उन्हें बस पैर पसारने की जगह चाहिए। त्रिवेदी ने कहा कि जो केजरीवाल बस पैर पसारने की जगह चाहते थे, उनके लिए सैकड़ों स्क्वायर मीटर में उनका शीशमहल बना है। सेंसर वाले स्लाइडिंग द्वार के साथ-साथ अरविंद केजरीवाल के निर्लज्जता के द्वार भी खुल गए हैं। अरविंद केजरीवाल के घर में सेंसर वाले ऐसे दरवाजे लगे हैं, जिसे खोलने और बंद करने में छूने की जरूरत नहीं पड़ती है। इसका राजनीतिक अर्थ समझिए। अरविंद केजरीवाल किसी चीज को हाथों से टच नहीं करते हैं। फाईल को भी टच नहीं करते हैं। सब रिमोट से चलाते हैं। वह कहीं सत्येन्द्र जैन से काम करवा देंगे तो कहीं मनीष सिसोदिया से, लेकिन खुद साइन नहीं करेंगे और तो और, पार्टी को भी टच नहीं करते हैं और यहां तक कि वह पंजाब की सरकार भी रिमोट से चलाते हैं।