दुनिया में महंगाई घटी, भारत में बढ़ी: मूंगफली तेल, कॉटन दुनिया में 24% तक सस्ते, पर भारत में 13% से ज्यादा महंगे हुए


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नई दिल्ली4 मिनट पहले

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इस साल देश में जनवरी में गैस, खाद, कॉफी-चाय, कॉटन और खाद्य तेल जैसे करीब 10 वस्तुओं के दाम दोगुने तक हो गए। इसके उलट अंतरराष्ट्रीय बाजारों में ये 48% तक सस्ते हुए। बीते माह देश में रिटेल महंगाई दर एक बार फिर 6.5% तक पहुंचने की एक वजह ये भी रही। बीते साल नवंबर और दिसंबर में महंगाई दर 6% से नीचे आ गई थी।

वैश्विक बाजार में बीते माह यूरिया के भाव सबसे ज्यादा 47.6% घटे। लेकिन भारतीय बाजार में इसकी थोक महंगाई दर 5.2% रही। प्राकृतिक गैस के मामले में सबसे ज्यादा अंतर देखा गया। अंतरराष्ट्रीय बाजार में जहां इसकी कीमत में 28.6% गिरावट आई, वहीं घरेलू बाजार में दाम 95% से ज्यादा बढ़ गए। कॉटन के भाव भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में 24.1% घटने के मुकाबले घरेलू बाजार में 8.6% बढ़े हैं।

किसानों ने रोकी कॉटन की फसल
ओरिगो कमोडिटीज इंडिया के सीनियर मैनेजर (कॉरपोरेट रिसर्च) इंद्रजीत पॉल ने कहा कि इस साल कॉटन की आवक करीब 40% कम है। भाव और बढ़ने की उम्मीद में किसानों ने फसल रोक रखी है। इसी तरह मूंगफली का उत्पादन बीते सीजन से 16.4% कम रहा है। इन दोनों के दाम बढ़ने की सबसे बड़ी वजह यही है।

रुपया कमजोर होने से महंगा पड़ रहा आयात
केडिया कमोडिटी के डायरेक्टर अजय केडिया के मुताबिक, मुख्य रूप से डॉलर के मुकाबले रुपए में गिरावट के चलते घरेलू बाजार में आयातित वस्तुओं की कीमतें कम नहीं हो पा रही हैं। इसके अलावा खपत बढ़ना भी इसकी एक वजह है। 1 जनवरी 2022 को रुपया 74.51 प्रति डॉलर था, जो अभी 83 के करीब पहुंच गया है।

सोने के दाम वैश्विक बाजार के मुकाबले दोगुना बढ़े

कमोडिटी वैश्विक बाजार भारत
यूरिया -47.6% +5.2%
प्राकृतिक गैस -28.6% +95.2%
कॉटन -24.1% +8.6%
मूंगफली तेल -20.9% +13.5%
एल्युमीनियम ​​​​​​​ -16.8% +0.7%
कॉफी -13.2% +14.5%
ब्रेंट क्रूड -2.9% +5.0%
चाय -2.6% +4.4%
गोल्ड +4.5% +10.1%
चांदी +2.1% +9.4%

आयात के लिए गैस लिक्विफाइड करना महंगा पड़ता है, फिर गैस में तब्दील करने पर भी काफी पैसा खर्च होता है
मशहूर एनर्जी एक्सपर्ट नरेंद्र तनेजा ने कहा कि भारत तकरीबन 60% प्राकृतिक गैस आयात करता है। आयात करने के लिए इसे लिक्विफाइड (तरल बनाना) करना पड़ता है। देश में आने के बाद इसे दोबारा गैस में तब्दील करना पड़ता है। इसमें काफी पैसा खर्च होता है। इसीलिए भारत और अंतरराष्ट्रीय बाजार में गैस की कीमतों में बड़ा फर्क देखा जा रहा है।

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