जुलेखा दाऊद: मजदूर पिता की डॉक्टर बेटी, 60 साल पहले हासिल किया ये मकाम


हाइलाइट्स

जुलेखा दाऊद डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी करने के बाद वे 1964 में यूएई चली गईं.
1992 में उन्होंने जुलेखा हॉस्पिटल ग्रुप की शुरुआत की.
जुलेखा ग्रुप हॉस्पिटल का सालाना रेवेन्यू 3662 करोड़ रुपये है.

Success Story: छोटे शहरों से जाकर बड़े शहरों में अपनी मेहनत से नाम कमाना बड़ी बात है, लेकिन छोटे शहर से निकलकर किसी दूसरे देश में अपना रोशन करना और भी फक्र की बात है. हम आपको एक ऐसी महिला की कहानी बताने जा रहे हैं जिसने गरीबी और संघर्ष के बीच देश से निकलकर परदेस में नाम कमाया.

84 वर्षीय डॉ. ज़ुलेखा दाउद की सफलता की कहानी लाखों युवाओं के लिए एक बड़ी प्रेरणा है. कभी महाराष्ट्र के एक गरीब परिवार से आने वाली डॉ जुलेखा दाऊद आज दुबई की सबसे अमीर भारतीय महिलाओं में से एक हैं. नागपुर में जन्मी जुलेखा दाऊद के पिता दिहाड़ी मजदूर थे, लेकिन बेटी ने अपनी काबिलियत से जिंदगी में बड़ा मकाम हासिल किया है.

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महाराष्ट्र में पढ़ाई, दुबई में नौकरी

परिवार की आर्थिक तंगी और मुश्किल वक्त के बीच जुलेखा दाऊद ने अपनी पढ़ाई जारी रखी और गर्वंमेंट मेडिकल कॉलेज में दाखिला पा लिया. डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी करने के बाद वे 1964 में यूएई चली गईं. खास बात है कि डॉ जुलेखा, दुबई में पहली भारतीय डॉक्टर बनीं जिन्होंने मेडिसिन में वहां प्रैक्टिस शुरू की. अपने पेशे से उन्होंने लोगों की सेवा की. डॉ जुलेखा दाऊद ने दुबई में 10,000 बच्चों की डिलीवरी कराई.

आज से 60 साल पहले दुबई में उन्होंने मेडिकल करियर उस वक्त शुरू किया, जब वहां मेडिकल सेक्टर में ज्यादा सुविधाएं और तकनीक की उपलब्धता नहीं थी. इस बात को ध्यान में रखते हुए डॉ जुलेखा दाऊद ने 1992 में जुलेखा हॉस्पिटल ग्रुप की शुरुआत की ताकि लोगों को बेहतर हेल्थकेयर सुविधाएं मुहैया कराई जा सके.

कंपनी का सालाना रेवेन्यू 3662 करोड़

84 साल की उम्र में डॉ जुलेखा दाऊद, जुलेखा हॉस्पिटल ग्रुप की चेयरमैन हैं. साल 2019 में डॉ जुलेखा दाऊद को प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार मिला. इतना ही नहीं डॉ जुलेखा दाऊद को फोर्ब्स ने मिडिल ईस्ट की टॉप 100 की लिस्ट में शामिल किया है. जुलेखा ग्रुप हॉस्पिटल का सालाना रेवेन्यू $ 440 मिलियन यानी 3662 करोड़ रुपये है.

सिर्फ संयुक्त अरब अमीरात में ही नहीं, बल्कि भारत में भी सस्ती और जरूरी हेल्थकेयर सुविधाएं मुहैया कराई. नागपुर में एक टॉप मेडिकल सेंटर खोलने के लिए उन्हें वर्ल्ड बैंक से 198 करोड़ रुपये मिले, जबकि 20 करोड़ रुपये का योगदान उनके ग्रुप ने किया.

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