जापान में रिश्तेदार किराए पर ले रहे हैं लोग, कहीं कोई संकट का संकेत तो नहीं?


हाइलाइट्स

जापान में रोमांटिक साथी सहित अन्य रिश्तेदार किराए पर मिल रहे है.
यह सब एक व्यवस्थित उद्योग का आकार लेता जा रहा है.
इसकी वजह जपान में अकेले लोगों की बढ़ती हुई संख्या है.

जापान दुनिया के सबसे अजीबदेशों में  कहा जाए तो गलत नहीं होगा. वहां ऐसी बातें देखने को मिलती हैं जो दुनिया में कहीं भी देखने को नहीं मिलती हैं. वहां लोगों में सफाई और वक्त की पाबंदी के लिए दीवानगी हैरान करने वाली होती है. अब जापान में नया और चलन देखने को मिल रहा है. लोग यहां रिश्तेदार किराए पर ले रहे हैं और दिलचस्प बात यह है कि वे ऐसा अपनी मूल भूद जरूरतें पूरा करने के लिए कर रहे हैं. जैसे बच्चे के लिए मां या पिता की कमी को पूरा करना, अकेले रहने वाले के लिए जीवन साथी की जरूरत, वगैरह वगैरह. यह जापान की कई समस्याओं की और इशारा भी कर रहा है.

एक उद्योग का स्वरूप
ऐसा नहीं है कि यह बहुत कम स्तर पर, कभी कभी या शौकिया ही हो रहा है, बल्कि जापानियों को तो  यह सुविधा बहुत अच्छे से मिल भी रही है. एक तरफ यह उद्योग का रूप ले रहा है. लोगों को अलग अलग रिश्तेदारों के लिए कैटेलॉग तक उपलब्ध हैं. और किराए में विविधता भी है.  बूढ़े मां बाप के देखभाल के लिए साथी हो या फिर खुद बूढ़े लोगों को किसी जवान बेटे बेटी के जैसे सहारे की जरूरत  लोगों को सारे विकल्प मिल रहे हैं.

परिवार की बढ़ती समस्याएं
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पॉपुलेशन एंड सोशल सिक्यूरिटी के आंकड़ों के अनुसार स्थिति यह है  कि 2040 तक जापान में 40 फीसद से भी ज्यादा घरों में एक ही व्यक्ति रह जाएगा और वह भी शादी की औसत उम्र पार कर चुका होगा. अधिकांश लोगों के पास परिवार के नाम पर बूढ़े हो चुके माता पिता ही हैं जिससे देश में परिवारों के मूल्यों और समस्याएं बढ़ती जा रही हैं

कम होती जनसंख्या
दरअसल इसकी वजह यह है कि जापान में समस्याएं भी कम नहीं है. आज जापान दुनिया में सबसे कम जनसंख्या वृद्धि वाला देश है और वह भी ऋणात्मक हो चुकी है. वहां बुजुर्ग बहुत ही ज्यादा रह गए हैं. जनसंख्या वितरण इतना असमान है कि लोगों को शहर के बाहर कस्बो और गांवों में बसने के लिए कई तरह से प्रोस्तसाहित  किया जाता है. लोग अकेले बहुत रहने लगे हैं.

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जापान में कुछ सालों से लोग अकेले ही रहना पसंद कर रहे हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)समस्या का रूप लेता अकेलापन
जापानियों कि काम के प्रति बहुत ज्यादा दीवानगी होती है. वे खुद को बहुत व्यस्त रखते हैं. ऐसे में उनके पास अपने रिश्तों के लिए युवा अवस्था में विशेष तौर परिवार के लिए समय नहीं होता है. इसके अलावा बूढ़ी होती जनसंख्या और ऋणात्मक जनसंख्या वृद्धि लोगों को एक दूसरे से और दूर कर रह ही है. ऐसे में लोग अकेलापन दूर करने के प्रयास करते हैं.

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भावनाएं भी विकल्प में शामिल
स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कियहां लोग कुछ घंटो के लिए दोस्त तक किराए पर लेते हैं जिनके साथ वे थोड़ी देर बातचीत ही कर सकें कुछ वक्त बिता सकें.यहां रोमांटिक साथी भी किराए पर मिलते हैं किराए के पति पत्नी जिन्हे बच्चों के साथ कहीं आमंत्रण पर जाना होता है, भी उपलब्ध होते हैं. लोगों की पसंद नापसंद का ख्याल रखा जाता है और यहां तक कि भावनात्मक सामग्री तक विकल्पों के तौर पर दी जाती है.

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जापानी युवा इस उद्योग में खूब भागीदारी कर रहे हैं क्योंकि इससे उनका भी अकेलापन दूर होता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)

कैसे हुई थी शुरुआत
इसकी शुरुआत तब हुई थी जब जापान में शहरी करण तेजी से बढ़ रहा था और युवा नौकरी करने के लिए अकेले ही शहरों में रहने आते थे. ऐसे लोगों के लिए रिश्तेदारों की सुविधा देने से शुरुआत हुई और आज यह काम बहुत सारी कम्पनियां कर रही हैं. यहां केवल दो हजार येन में ही कुछ घंटों के लिए माता पिता भाई बहन आदि किराए पर मिल जाते हैं. इस कारोबार में भी अकेले रहने वाले युवा ज्यादा हैं जो कमाने के साथ परिवार के माहौल को खुद को परखना चाहते हैं.

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लेकिन यह सब जापान की एक गंभीर सामाजिक समस्या की ओर इशारा कर रहा है जिसका यह समधान नहीं है.  कम होती जनसंख्या ही केवल इसका कारण नहीं है. जनसंख्या का उम्र और जगह दोनों के ही हिसाब से असामान्य वितरण हालात और ज्यादा खराब करता जा रहा है. परिवार में बहुत ही ज्यादा बुजुर्ग लोग हैं और फिर अकेले बुजुर्गों वाले परिवार भी कम नहीं है.  वहीं शहरों में लोग ज्यादा हैं लेकिन महंगाई की वजह से अपने परिवार के लोगों को वहां बुलाना नहीं चाहते हैं.  कुल मिला कर जापान में पारिवारिक मूल्य खत्म होते जाते हैं और परिवार के होने के अलावा किराए के रिश्तेदार इसका समाधान नहीं हैं.

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