जागरूकता फ़ैलाने के मकसद से बनाया गया वीडियो जातिय भेदभाव के झूठे दावे के साथ शेयर


सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल है जिसमें एक महिला अपने घर के सामने सड़क पर खड़ी महिला सफाई कर्मचारियों को दूर हटने के लिए कह रही है. ये महिला वहां मौजूद महिला सफाई कर्मियों को दूर खड़े होने के लिए कहती है. जब वो पीछे हट जाती हैं तो महिला अपने घर से बाहर निकलती है और सड़क पर एक बोतल रखते हुए बार-बार उन्हें दूर खड़े रहने का इशारा करती हैं. वो वापस अपने घर के गेट के अंदर जाती है उसके बाद ही सफाई कर्मियों ने वो बोतल उठाई.

ये वीडियो इस दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि भारत में इस तरह का जातिगत भेदभाव मौजूद है.

ट्विटर पेज द दलित वॉयस (@ambedkariteIND) ने ये क्लिप 19 अगस्त को इस कैप्शन के साथ ट्वीट किया: “ये वीडियो में आप ये देख सकते हैं कि आरक्षण क्यों जरूरी है. क्या ये भेदभाव किसी ब्राह्मण बनिया ठाकुर व्यक्ति के साथ हुआ है?” आर्टिकल लिखे जाने तक इस ट्वीट को 1.5 लाख से ज़्यादा बार देखा गया है और 1,700 से ज़्यादा बार रीट्वीट किया गया है. (आर्काइव)

और भी कई यूज़र्स ने ये क्लिप ऐसे ही दावों के साथ शेयर की. इस लिस्ट में राष्ट्रीय लोक दल के सदस्य प्रशांत कनौजिया (@KanojiaPJ), ट्विटर ब्लू यूज़र @Bacteria_Offl और मीडिया आउटलेट ट्रू मीडिया शामिल हैं. रिदम टीवी और साथियम न्यूज़ जैसे मीडिया आउटलेट्स ने भी ये वीडियो शेयर किया. लेकिन उन्होंने इस घटना से संबंधित कोई संदर्भ नहीं दिया.

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फ़ैक्ट-चेक

ऑल्ट न्यूज़ ने देखा कि द दलित वॉयस के ट्वीट पर कई यूज़र्स ने ये कमेंट किया कि ये वीडियो कोरोना महामारी के चलते लगाए गए लॉकडाउन के दौरान जागरूकता फ़ैलाने के मकसद से बनाया गया था.

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हमने वीडियो के फ़्रेम्स को रिवर्स इमेज सर्च किया और हमें ट्विटर हैन्डल ‘@guppystweet‘ का एक ट्वीट मिला. इस यूज़र ने 22 जून, 2020 को ये वीडियो ट्वीट किया था. उस वक्त कोरोना का पहला वेव अपने चरम पर था.

द दलित वॉयस के ट्वीट पर, एक यूज़र ने न्यूज़ आउटलेट एशियानेट न्यूज़एबल के एक वीडियो का लिंक भी शेयर किया. यूट्यूब वीडियो के टाइटल का हिंदी अनुवाद है: “घर की मालकिन ने पौराकर्मिकों को पीने का पानी देने से इनकार कर दिया; वायरल वीडियो जागरूकता लाता है.” इसे 24 जून, 2020 को पब्लिश किया गया था. ‘पौराकर्मिक’ नागरिक निकाय ब्रुहत बेंगलुरु महानगर पालिका (BBMP) के तहत स्वच्छता कार्यकर्ता हैं.

यूट्यूब वीडियो के डिस्क्रिप्शन में लिखा है: “बेंगलुरु: बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (BBMP) के पौरकर्मिक सिर्फ शहर को साफ रखने तक ही सीमित नहीं हैं, कुछ लोग उनके अंदर छिपी प्रतिभा को बाहर लाने की कोशिश भी करते हैं. जब शहर में कोरोना वायरस (कोविड-19) के मामलों में बढ़ोतरी के बाद डर का माहौल है, तो पौराकर्मिक जो सबसे ज़्यादा असुरक्षित हैं, उन्हें एक वीडियो बनाने का विचार आया. पहले वायरल वीडियो में दो पौराकार्मिक महिलाओं में से एक ने घर की अभिमानी मालिकिन की भूमिका निभायी है और अपने घर से पीने का पानी देने से इनकार कर दिया. पानी मांगने आयी पौरकर्मिक महिला हैरान रह गई. अगले सीक्वेंस में अभिमानी महिला अपने घर के गेट से बाहर आयी, सड़क पर पानी की बोतल रखी और पौरकर्मिक को वहां से पानी लेने के लिए कहा.

इसमें ये भी कहा गया है कि “वीडियो में दिखने वाले सभी लोग बेंगलुरु के सिंगसंद्रा वार्ड के पौराकार्मिक थे.”

यूट्यूब वीडियो में ‘पौराकर्मिकों’ को कन्नड़ में ये कहते हुए सुना जा सकता है कि वो इस महामारी के दौरान अपने निर्धारित इलाकों को साफ करने के लिए दूर-दूर से आ रहे हैं, फिर भी उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है क्योंकि लोगों को डर है कि वो कोरोनोवायरस संक्रमण का शिकार हो जाएंगे.

वीडियो के बारे में BBMP के विशेष आयुक्त सरफराज खान ने भी बात की, उन्हें यूट्यूब वीडियो में ये कहते हुए भी सुना जा सकता है कि उन्होंने जागरूकता फ़ैलाने के लिए इस वीडियो में पौराकर्मिकों द्वारा किए गए रचनात्मक काम की सराहना की.

गौर करने वाली बात ये भी है कि जब ये वीडियो 2020 में वायरल हुआ था, तो उस वक्त भी कई लोगों ने इसे असली घटना माना था. लेकिन बाद में ये सामने आया कि जागरूकता फ़ैलाने करने के लिए पौराकर्मिकों ने खुद इस वीडियो में अलग-अलग भूमिकाएं निभाईं हैं. घर की मालकिन बनी महिला और वर्दी पहनी महिला दोनों BBMP की पौराकर्मिक सदस्य हैं.

कुल मिलाकर, सफाई कर्मियों के साथ जातिगत भेदभाव के रूप में वायरल क्लिप असल में BBMP कार्यकर्ताओं द्वारा बनाया गया एक स्क्रिप्टेड वीडियो है. इसमें ये दिखाने की कोशिश की गई है कि कोविड-19 महामारी के दौरान उनके साथ कैसा व्यवहार किया जा रहा है. ये जातिगत भेदभाव की कोई असली घटना का वीडियो नहीं है.

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