हाइलाइट्स
भारत के शहरी इलाकों में रहने वाली घरेलू महिलाएं बहुत कम ही घर से निकल पाती हैं बाहर.
52 प्रतिशत से अधिक महिलाएं घरेलू कामकाज में 5 घंटे से अधिक समय व्यतीत करती हैं.
अक्सर महिलाएं अपने घर के कामों में इतनी व्यस्त रहती हैं कि उनके पास खुद पर ध्यान देने के लिए समय ही नहीं रहता है. ना तो वो ठीक से अपनी सेहत का ध्यान रख पाती हैं, ना खुद को समय दे पाती हैं और ना ही घर से बाहर निकल कर अपनी मर्जी से घूम-फिर पाती हैं. आज भी घर से बाहर जाकर काम करने वाली महिलाओं की संख्या हाउस वाइफ की संख्या से काफी कम है. इससे भारत कई जेंडर गैप सूचकांकों में सबसे नीचे है. महिलाओं की संख्या आज भी मुख्य रूप से इंडस्ट्रियल और मैन्युफैक्चरिंग जॉब्स में बेहद कम है. ये जॉब हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं. इसका मतलब है कि आज भी अधिकतर महिलाएं काम पर नहीं, बल्कि घर पर मौजूद हैं. ऐसा हम नहीं, बल्कि हाल ही में हुए एक अध्ययन में कहा गया है.
दप्रिंट डॉट इन में छपी एक खबर के अनुसार, साइंस डायरेक्ट की पत्रिका ट्रैवल बिहेवियर एंड सोसाइटी में इस अध्ययन को ‘जेंडर गैप इन मोबिलिटी आउटसाइड होम इन अर्बन इंडिया’ शीर्षक के नाम से प्रकाशित किया गया. अध्यययन में ये बात सामने आई है कि शहर में रहने वाली (Urban India) लगभग आधी महिलाओं ने कहा कि वे दिन में एक बार भी अपने घरों से बाहर नहीं निकलती हैं. आईआईटी दिल्ली के ट्रांसपोर्टेशन रिसर्च एंड इंजरी प्रिवेंशन सेंटर के राहुल गोयल द्वारा लिखित अध्ययन में ये कहा गया है कि भारत में पुरुषों और महिलाओं के बीच मोबिलिटी की तुलना की जाए तो इसमें व्यापक अंतराल है, जो अपने आप में दुनिया भर में बेहद ‘दुर्लभ’ बात है.
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अध्ययन का रिजल्ट चौंकाने वाला
राहुल गोयल द्वारा किया गया अध्ययन शहरी भारत पर केंद्रित है, जिसमें लगभग 84,207 महिलाएं और 88,914 पुरुषों को शामिल किया गया. अध्ययन के अनुसार, सामान्य दिन में सिर्फ 47 प्रतिशत महिलाओं ने दिन में कम से कम एक बार अपने घरों से बाहर निकलने की जानकारी दी. इसका मतलब है कि करीब 53 फीसदी महिलाएं सामान्य दिन में एक बार भी घर से बाहर नहीं निकल पाती हैं. दिन में कम से कम एक बार बाहर निकलने की सूचना देने वाले पुरुषों का अनुपात लगभग 87 प्रतिशत था. इसका मतलब ये है कि महिलाओं की तुलना में पुरुष घर पर बहुत कम रहते हैं.
फैक्टर्स जिनके कारण महिलाएं निकलती हैं कम
अध्ययन में महिलाओं से चर्चा करने के बाद कई कारकों का जिक्र किया गया है, जिसकी वजह से महिलाएं घर से कम निकलती हैं. इसमें एक बात सामने आई है कि महिलाओं को अपने घरों से बाहर निकलने के लिए ठोस कारणों की आवश्यकता होती है, जो पुरुषों के लिए जरूरी नहीं है. पढ़ाई-लिखाई करने वाली 81 प्रतिशत महिलाओं ने दिन भर में घर से एक बार बाहर जाने की जानकारी दी. पुरुषों के साथ ऐसा नहीं पाया गया. वहीं, लगभग 81 प्रतिशत कामकाजी महिलाओं ने दिन में एक बार घर से बाहर जाने की जानकारी दी.
ऐसी महिलाएं जो न तो नौकरी करती हैं और ना ही पढ़ाई-लिखाई कर रही हैं, उनमें 30 प्रतिशत ने ही दिन में घर से बाहर निकलने की बात कही. इसका मतलब साफ है कि करीब 70 फीसदी महिलाएं दिन में एक बार भी घर से बाहर नहीं निकलती हैं. दूसरी ओर, सिर्फ 35 प्रतिशत काम नहीं करने वाले पुरुष ही घरों में रहते हैं.
महिलाएं घर के कामों में रहती हैं उलझी
आंकड़ों से पता चला कि 52 प्रतिशत से अधिक महिलाएं घरेलू कामकाज में 5 घंटे से अधिक समय व्यतीत करती हैं. इसमें खाना बनाना, साफ-सफाई, घर की साज-सज्जा आदि काम शामिल हैं. बिना किसी सैलरी यानी अवैतनिक श्रम (Unpaid labour) पर इतना समय खर्च करने वाले पुरुषों की संख्या सिर्फ 1.5 प्रतिशत थी. गोयल के अनुसार, चूंकि, महिलाएं घर पर बहुत सारी एक्टिविटीज में व्यस्त रहती हैं, इसलिए उनके लिए घर से बाहर की एक्टिविटीज, काम को कर पाना संभव नहीं हो पाता.
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Tags: Indian women, Lifestyle, Women
FIRST PUBLISHED : February 28, 2023, 15:55 IST