कैसे तय किया जाता है ट्रेनों का नाम और क्यों चलती हैं एक ही नाम वाली कई ट्रेनें, जानिए सवाल का जवाब


​नाम रखने से पहले इन बातों का रखा जाता है ध्यान ​

​नाम रखने से पहले इन बातों का रखा जाता है ध्यान ​

ट्रेनें जहां से शुरू होती हैं और जहां तक वो जाती हैं, उन जगहों के नाम पर भी ट्रेनों का नाम रखा जाता है। जैसे चेन्नई-जयपुर एक्सप्रेस। इसके अलावा लोकेशन या फिर धार्मिक महत्व को ध्यान में रखते हुए ट्रेन का नाम रखा जाता है, जैसे काशी विश्वनाथ एक्सप्रेस, पटना एक्सप्रेस। खास जगहों पर मौजूद विश्व धरोहर के नाम पर भी इन ट्रेनों का नाम रखते हैं।

​राजधानी, दुरंतों और शताब्दी के नाम पर ट्रेन ​

​राजधानी, दुरंतों और शताब्दी के नाम पर ट्रेन ​

ट्रेनों का नाम राजधानियों के नाम पर भी रखते हैं, जैसे राजधानी एक्सप्रेस जो राजधानियों के बीच दौड़ती है। ये भारत की सबसे अच्छी ट्रेनों में आती है, गति और सुविधाओं के लिहाज से ये काफी अच्छी ट्रेन है। शताब्दी एक्सप्रेस भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के 100 वें जन्मदिन पर 1989 पर चलाई गई थी। 100 साल के वक्त को शताब्दी या एक सदी कहते हैं, जिस वजह से इस ट्रेन का नाम शताब्दी रखा गया था। इसके अलावा दुरंतों ट्रेन बहुत ही कम स्टेशनों पर रूकती है। दुरंतों शब्द का अर्थ होता है, बिना किसी रुकावट के, इसलिए इसका नाम दुरंतों पड़ा।

​तीन केटेगरी के आधार पर रखा जाता है नाम ​

​तीन केटेगरी के आधार पर रखा जाता है नाम ​

जगह के आधार पर नाम – हावड़ा से कालका तक चलने वाली कालका मेल, हैदराबाद से मुंबई तक चलने वाली मुम्बई एक्सप्रेस, मैसूर से जयपुर तक चलने वाली जयपुर एक्सप्रेस
लोकेशन के आधार पर जैसे लोकेशन, नेशनल पार्क, जोन, स्मारक, क्षेत्र, पहाड़ पर नाम – हैदराबाद से हावड़ा तक ईस्ट कोस्ट एक्सप्रेस, कॉर्बेट पार्क एक्सप्रेस और काजीरंगा एक्सप्रेस, चारमीनार एक्सप्रेस और ताज एक्सप्रेस
खास सुविधा वाली ट्रेन – गरीबरथ एक्सप्रेस, सम्पर्क क्रांति एक्सप्रेस, राजस्थान सम्पर्कक्रांति एक्सप्रेस, जनशताब्दी एक्स, दुरंतो एक्स



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