कट्टरपंथियों से अपनी पहचान और धर्म को फिर से हासिल करने का समय आ गया है: हंसल मेहता


बॉलीवुड फिल्मकार हंसल मेहता का कहना है किकोई भी धर्म हिंसा के लिए नहीं कहता है, लिहाज़ा ‘‘कट्टरपंथियों से अपनी पहचान और धर्म को फिर से हासिल करने का समय आ गया है।’ मेहता ने यह भी कहा कि वहधर्मांधता का मुबाकला करने या बातचीत करने का सिर्फ एक तरीका जानते हैं जो कहानी बयां करने का है।

नयी दिल्ली। बॉलीवुड फिल्मकार हंसल मेहता का कहना है कि कोई भी धर्म हिंसा के लिए नहीं कहता है, लिहाज़ा ‘‘कट्टरपंथियों से अपनी पहचान और धर्म को फिर से हासिल करने का समय आ गया है।’
मेहता ने यह भी कहा कि वह धर्मांधता का मुबाकला करने या बातचीत करने का सिर्फ एक तरीका जानते हैं जो कहानी बयां करने का है।
उनकी नई फिल्म ‘फराज़’ अगले महीने की शुरुआत में रिलीज़ होगी जो 2016 में बांग्लादेश की राजधानी ढाका की ‘होले आर्टिसन’ बेकरी पर हुए आतंकी हमले पर आधारित है।
इस हमले में 29 लोगों की मौत हो गई थी जिनमें 20 वर्षीय फराज़ हुसैन भी था। फराज़ अपने दो दोस्तों को छोड़कर वहां से नहीं गए। हालांकि उनके पास वहां से निकलने का मौका था।
‘शाहिद’ और अलीगढ़ के निर्देशक मेहता ने कहा, “कट्टरपंथियों से अपनी पहचान और धर्म को फिर से हासिल करने का समय आ गया है।”
उन्होंने कहा, “फराज़ का मतलब है, ऐसा इंसान जो स्वाभिमानी हो। वह हिंदी सिनेमा का आदर्श नायक नहीं है।वास्तव में, वह फिल्म में लगभग 40 मिनट के बाद बात करना शुरू करता है।”
फिल्म में एक जगह नायक कहता है, “मैं तुम जैसे लोगों से अपना इस्लाम वापस चाहता हूं।”

मेहता का मानना है कि यह पंक्ति हर धर्म में उपयुक्त बैठती है। निर्देशक ने कहा, “आप इसे किसी भी धर्म से बदल दे।”
पूछा गया कि क्या फिल्म के अच्छा मुस्लिम बनाम बुरा मुस्लिम बहस में पड़नेखतरा है?
उन्होंने कहा, “ यह बहस उन लोगों ने शुरू की है जो इस्लाम के खिलाफ गलत सूचना फैलाना चाहते हैं। उन्होंने धर्म की यह बुरी छवि बनाई है और जो लोग इसके खिलाफ बहस कर सकते हैं वे बात नहीं कर रहे हैं। यह खतरनाक है।”
उन्होंने कहा, “ अगर यह असुविधाजनक बातचीत हैं, तो हम इन असुविधाजनक वार्तालापों को नहीं करते हैं। इसलिए हम इस स्थिति में हैं। लोकप्रिय विमर्श को उन्हीं ताकतों ने अपना लिया है जिनका आप मुकाबला करना चाहते हैं। आप अपनी चुप्पी से उनका मुकाबला नहीं कर सकते, आप हार नहीं मान सकते।

निर्देशक के अनुसार, फराज़ की कहानी एक आतंकी हमले के इर्द-गिर्द घूमती है और एक विशेष धर्म के बारे में बात करती है लेकिन यह सामान्य रूप से कट्टरता के बारे में है। उन्होंने कहाकि एक उदार आवाज के रूप में, बातचीत में शामिल होना अहम है।
उन्होंने कहा, “ इसे किसी अन्य धर्म से बदल दें। मेरा मुद्दा यह है कि धर्म के नाम पर हिंसा नहीं होनी चाहिए। अगर आपकी पहचान आपके धर्म से जुड़ी है तो इसे हिंसा से कैसे जोड़ा जा सकता है?
मेहता ने कहा, “कौन सा धर्म हिंसा का उपदेश देता है? कौन सा धर्म आपको बुरा इंसान बनने के लिए कहता है, चाहे हिंदू, ईसाई या मुसलमान हो। वह मेरी लड़ाई है। और मैं सिनेमा के जरिए उससे लड़ता रहूंगा।”
‘फराज़’ तीन फरवरी को भारत में रिलीज़ की जाएगी। इस फिल्म के जरिए शशि कपूर के पोते और कुणाल कपूर के बेटे ज़हान कपूर फिल्मी करियर की शुरुआत कर रहे है।
कुछ लोगों द्वारा यह कहने पर कि मेहता को बांग्लादेश की कहानी नहीं बतानी चाहिए थी तो उन्होंने कहा , “मेरा तर्क है कि कहानी कहने में और भूगोल बाधा नहीं बन सकते। यह एक वैश्विक कहानी है। यह स्थानीय कहानी नहीं है। जो कहते हैं, आप हमारी कहानी कैसे बता सकते हैं? मेरा जवाबहै, जिस तरह से 26/11 (मुंबई आतंकी हमले) और होलोकॉस्ट की कहानियां हैं।

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