उल्का पिंड के टकराने से बनी थी महाराष्ट्र की ये झील, अकबर भी पीता था इसका पानी


महाराष्ट्र के बुलढाना जिले की लोनार झील कई रहस्यों से घिरी हुई है। करीबन 5 लाख 70 हजार साल पुरानी इस झील के बारे में आपको पुराणों, वेदों और दंत कथाओं में देखने को मिल जाएगा। नासा से लेकर दुनिया की कई एजेंसियों ने इस पर शोध किया हुआ है। शोध से पता चलता है कि उल्का पिंड से टकराने की वजह से ये झील बनी थी। लेकिन लेकिन उल्का पिंड कहां गया इसके बारे में अभी तक नहीं पता चला है। चलिए आपको इस झील के बारे में बताते हैं।

​उल्का पिंड के कारण बनी है झील –

70 के दशक में वैज्ञानिक मानते थे कि ये झील ज्वालामुखी की वजह से बनी है। लेकिन ये थ्योरी गलत साबित हुई, क्योंकि अगर ये झील ज्वालामुखी से बनी होती, तो 150 मीटर गहरी नहीं होती। शोध से ये भी पता चला है कि ये झील उल्का पिंड के पृथ्वी से टकराने के कारण बनी। 2010 से पहले ऐसा माना जाता था कि झील 52 हजार साल पुरानी है, लेकिन शोध के अनुसार ये 5 लाख 70 हजार साल पुरानी है।

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(फोटो साभार : wikipedia.com)

ऐतिहासिक और पौराणिक हैं कहानियां –

लोनार झील के बारे में आपको ऋग्वेद और स्कंद पुराण में भी मिल जाएगा। पद्म पुराण और आईन-ए-अकबरी में भी इसका जिक्र मिलता है। ऐसा कहा जाता है कि अकबर इस झील का पानी सूप में डालकर पिया करता था। वैसे इस झील को मान्यता तब मिली जब 1823 में ब्रिटिश अधिकारी जेई अलेक्जेंडर इस जगह पर आए थे।

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झील के कई राज –

झील को लेकर कई कथा भी हैं, यहां लोनासुर नाम का एक राक्षस भी था, जिसका वध भगवान विष्णु ने किया था। उसका खून भगतवान के पांव के अंगूठे पर लग गया था, जिसे हटाने के लिए जब भगवान ने मिट्टी के अंदर अंगूठा दिया तो वहां एक गहरा गड्ढा बना गया।

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झील के पास कई मंदिर –

लोनार झील के पास आपको कई प्राचीन मंदिर भी दिख जाएंगे। यहां दैत्यासुदन मंदिर भी है। ये मंदिर भगवान विष्णु दुर्गा, सूर्य और नरसिम्हा को समर्पित है, इसकी बनावट आपको खजुराहो की तरह दिखाई देगी। यहां लोनारधर मंदिर, कमलजा मंदिर, मोठा मारुति मंदिर भी स्थित है। इसका निर्माण करीबन हजार साल पहले यादव वंश राजा ने किया था।

झील कितनी बड़ी है –

झील का ऊपरी हिस्सा करीबन 7 किमी है। झील करीबन 150 मीटर गहरी है। ऐसा माना जाता है कि उल्का पिंड पृथ्वी से टकरा गया था, जो कि 10 लाख टन रहा होगा। ये 22 किमी सेकेंड की गति से पृथ्वी से टकरा गया था, तब तापमान 1800 डिग्री थी, जिस वजह से उल्का पिंड पिघल गया होगा।

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दो झील थी जो हो गई अब गायब –

लोनार झील के पास ही उल्का पिंड के टकराने से दो झील बनी थी। लेकिन अब दोनों गायब हो चुकी हैं। हालांकि 2006 में ये झील सूख गई थी। बारिश के बाद ये झील फिर भर गई।

कैसे पहुंचा जाए – How to reach

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हवाई मार्ग से: औरंगाबाद लोनार का पास का हवाई अड्डा है।

ट्रेन द्वारा: मुंबई और औरंगाबाद के बीच मनमाड जंक्शन के माध्यम से 20 से अधिक ट्रेनें चलती हैं। धुंध भरे पहाड़ों, हरे-भरे खेतों और झरनों के खूबसूरत नजारों को देखने के लिए आप ट्रेन की मदद ले सकते हैं।

सड़क मार्ग से: औरंगाबाद में केंद्रीय बस स्टैंड ट्रेन स्टेशन से लगभग 1 किमी दूर है। लोनार के लिए बसें जालना के रास्ते चलती हैं और लगभग 5 घंटे का समय लेती हैं।



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