मंत्री सौरभ भारद्वाज ने क्या कहा
दिल्ली सरकार के मंत्री भारद्वाज ने कहा कि सक्सेना की याचिका में संविधान के अनुच्छेद 361 (2) का हवाला दिया गया है, जिसमें कहा गया है, ‘राष्ट्रपति या किसी राज्य के राज्यपाल के खिलाफ उनके कार्यकाल के दौरान किसी भी अदालत में कोई भी आपराधिक कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकती या जारी नहीं रखी जा सकती।’ उन्होंने कहा कि राज्यपालों को केंद्र सरकार की ओर से चुना जाता है और भारत के राष्ट्रपति की ओर से नियुक्त किया जाता है। जबकि उपराज्यपाल का चयन और नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
उपराज्यपाल ने संविधान को ही पलट दिया
‘आप’ नेता ने कहा, ‘उपराज्यपाल ने संविधान को ही पलट दिया। अदालत में उनके आवेदन में कहा गया है कि वह राज्यपाल से ऊपर और राष्ट्रपति के नीचे हैं। लेकिन अदालत ने उनके आवेदन को खारिज करते हुए कहा है कि उपराज्यपाल को कोई छूट नहीं मिलती। वह हर दिन अपने अधिकार क्षेत्र में नहीं आने वाले काम कराने के लिए सरकारी विभागों को आदेश जारी करते हैं। इससे पता चलता है कि उनकी जवाबदेही भी तय की जा सकती है।’