2 घंटे पहले
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दुनियाभर में डायबिटीज का भार बढ़ता जा रहा है। इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन (IDF) के मुताबिक, विश्व में 20 से 79 साल के 53.7 करोड़ वयस्क इस बीमारी के साथ जी रहे हैं। मगर इसके खतरे से लोगों को बचाने के लिए हाल ही में वैज्ञानिकों ने एक नई रिसर्च की है। इसके अनुसार वजन कम करने वाले एक इंजेक्शन को लगाने से टाइप-2 डायबिटीज का रिस्क 61% कम हो जाता है।
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ड्रग का नाम सेमाग्लूटाइड (Semaglutide)
सेमाग्लूटाइड नाम का यह इंजेक्शन वीगोवी (Wegovy) और ओजेंपिक (Ozempic) नाम के ब्रांड्स मार्केट में लाए हैं। इसे हाल ही में अमेरिका के फूड एंड ड्रग एसोसिएशन (FDA) और इंग्लैंड के नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ एंड केयर एक्सीलेंस (NICE) ने मंजूरी दी है। यह एक वेट लॉस ड्रग है, यानी इसके इस्तेमाल से मोटापा कम किया जा सकता है।

सेमाग्लूटाइड वेट लॉस के लिए सबसे प्रभावी दवा
लॉन्ग टर्म मोटापे से छुटकारा पाने के लिए लोग अक्सर सर्जरी की तरफ बढ़ते हैं। लेकिन, लीड रिसर्चर डॉ. डबल्यू टिमोथी गार्वी का कहना है कि सेमाग्लूटाइड मोटापे के लिए अब तक की सबसे कारगर दवा है। बारियाट्रिक सर्जरी के बाद इस इंजेक्शन पर भरोसा किया जा सकता है। क्लिनिकल ट्रायल के नतीजों में इसने औसतन 15% से ज्यादा वजन कम करके दिखाया। इतनी मात्रा में वजन घटने से स्वास्थ्य से जुड़े कई कॉम्प्लिकेशंस से भी बचा जा सकता है।
मोटापे से बढ़ता है डायबिटीज का खतरा
डॉ. गार्वी ने बताया कि मोटापे के कारण टाइप-2 डायबिटीज का खतरा 6 गुना तक बढ़ जाता है। इसलिए सेमाग्लूटाइड से डायबिटीज के कनेक्शन को समझने के लिए उनकी टीम ने दो ट्रायल किए। पहले ट्रायल में जिन प्रतिभागियों को सेमाग्लूटाइड का इंजेक्शन लगाया गया, उनमें 68 हफ्तों में डायबिटीज के 10 साल का रिस्क 61% तक कम हुआ। इनका वजन भी 17% घटा।
दूसरे ट्रायल में 20 हफ्तों तक प्रतिभागियों को सेमाग्लूटाइड दिया गया। इसके बाद कुछ लोगों को प्लेसिबो ट्रीटमेंट पर रखा गया और कुछ को सेमाग्लूटाइड ही दिया गया। प्लेसिबो कोई दवाई नहीं है। असल में डॉक्टर इसका इस्तेमाल ये जानने के लिए करते हैं कि दवा लेने का किसी व्यक्ति पर क्या और मानसिक रूप से उस पर कितना असर पड़ता है।

मोटापे से टाइप-2 डायबिटीज का खतरा 6 गुना तक बढ़ जाता है। इसलिए सेमाग्लूटाइड इंजेक्शन इस पर भी कारगर है।
सेमाग्लूटाइड का लगातार इस्तेमाल जरूरी
वैज्ञानिकों ने दूसरे ट्रायल में पाया कि सेमाग्लूटाइड कंटिन्यू करने वालों में डायबिटीज का खतरा हर हफ्ते 7.7% कम होता गया, तो वहीं प्लेसिबो ट्रीटमेंट वालों में बीमारी का खतरा 15.4% तक बढ़ गया। इससे पता चलता है कि सेमाग्लूटाइड का लगातार इस्तेमाल करने से ही सही नतीजे मिलते हैं।