आंबेडकर ने कोलिजियम सिस्टम को बताया था खतरनाक, संविधान सभा द्वारा खारिज सिस्टम को 1993 में वापस ले आए जज


सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति को लेकर भारत सरकार और सुप्रीम कोर्ट के कोलिजियम (चीफ जस्टिस और चार वरिष्ठ जजों का समूह) के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है. कोलिजियम ने हाई कोर्ट के 25 जजों की नियुक्ति की सिफारिश केंद्र सरकार के पास भेजी थी.

केंद्र सरकार ने ये सिफारिशें कोलिजियम को वापस भेज दी हैं और लिस्ट पर पुनर्विचार करने के लिए कहा है. जजों की नियुक्ति में केंद्र सरकार की भूमिका को लेकर दर्ज एक मुकदमे में सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सबसे वरिष्ठ जज जस्टिस संजय किशन कौल ने इस बात पर नाराजगी जताई कि सिफारिश किए गए जजों के नाम पर केंद्र सरकार लंबे समय तक फैसला नहीं लेती.

उन्होंने कहा कि इससे व्यवस्था बिगड़ती है. कानून मंत्री किरेन रिजिजू भी इस विवाद का चाहे अनचाहे हिस्सा बन चुके हैं. उन्होंने कहा है कि कोलिजियम सिस्टम संविधान के अनुरूप नहीं है.

इस लेख में हम ये जानने की कोशिश करेंगे कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति की संवैधानिक व्यवस्था क्या थी और अब कैसी व्यवस्था लागू है.

साथ ही हम ये भी जानेंगे कि संविधान निर्माताओं ने इस प्रश्न को किस तरह से देखा था और उनकी मंशा क्या थी.

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